
छत्तीसगढ़ के स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में कार्यरत संविदा शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने आज छत्तीसगढ़ स्वामी आत्मानंद संविदा शिक्षक एवं कर्मचारी संघ के बैनर तले एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी के नाम जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा। यह धरना संघ के प्रदेश अध्यक्ष दुर्योधन यादव के मार्गदर्शन,में दुर्ग संभाग अध्यक्ष नवी मोजेश के निर्देशन और जिला मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिला अध्यक्ष मयूर एस. नरांजे एवं उपाध्यक्ष श्रीमती श्रद्धा गजभिए के नेतृत्व में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न स्वामी आत्मानंद स्कूलों से आए संविदा शिक्षक एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
धरना के माध्यम से संघ ने अपनी दो सूत्रीय प्रमुख मांगों को दोहराया। पहली मांग नियमित वेतन वृद्धि एवं वेतनमान निर्धारण की है, जिसमें शिक्षकों ने बताया कि वे विगत कई वर्षों से पूर्णकालिक सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो वेतनमान मिला है और न ही कोई वार्षिक वेतनवृद्धि सुनिश्चित की गई है। दूसरी मांग शिक्षा विभाग में समावेशन (संविलियन) एवं नियमितीकरण की है, जिसे पूर्व शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था। संघ ने मांग की है कि सभी संविदा शिक्षकों एवं कर्मचारियों को शिक्षा विभाग में समाहित कर नियमित किया जाए, जिससे उन्हें सेवा सुरक्षा मिल सके और वे बिना भय के प्रदेश की शिक्षा गुणवत्ता में योगदान दे सकें।



संघ ने यह भी घोषणा की कि यदि समय रहते इन मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो 1 अगस्त 2025 से राजधानी रायपुर में प्रदेश स्तरीय अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें पूरे छत्तीसगढ़ से शिक्षक-कर्मचारी शामिल होंगे। यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और न्यायसंगत होगा।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख शिक्षकों एवं कर्मचारियों में
सुश्री नेहा जोशी,श्री यदेश्वर लोधी,सुश्री मोनिका मंडावी,श्रीमती अनुरूपता लकड़ा ,श्री पी डी निक्की,श्री अमित सोनी,सुश्री अंजली शर्मा,सुश्री शशिकला यादव,श्रीमती सरिता देवांगन सहित कई अन्य साथियों की सक्रिय भागीदारी रही। सभी ने एकजुटता के साथ यह संदेश दिया कि जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक संघ का संघर्ष जारी रहेगा।
संघ ने प्रदेश सरकार से अपील की है कि शिक्षकों की न्यायसंगत मांगों पर संवेदनशील होकर विचार किया जाए और शीघ्र समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं अन्यथा भविष्य में हम अपने हक और अधिकारों के लिए जमीनी लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगे।
योगेन्द्र सिंगने की रिपोर्ट।