
दोरबा नर्सरी: गांव से हरियाली की ओर एक हराभरा कदम
छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के अंतर्गत खड़गांव में स्थित दोरबा नर्सरी आज हरियाली और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक मॉडल बन चुकी है। उद्यानिकी विभाग के अंतर्गत संचालित यह नर्सरी न केवल पौधों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्र में पर्यावरण जागरूकता, रोजगार और आत्मनिर्भरता की मजबूत नींव रख रही है।

करीब 12 एकड़ में फैली इस नर्सरी में वर्तमान में एक अधिकारी, दो चौकीदार और चार मजदूर लगातार कार्यरत हैं। यहां फलदार, फूलदार और सजावटी पौधों की 12 से 15 प्रकार की वैरायटी उपलब्ध है। वानिकी प्रजातियों में खमार जैसे पौधों का भी विकास किया जा रहा है। नर्सरी में बागवानी मिशन, सब्जी विस्तार योजना, ड्रिप सिंचाई, और फलदार पौधारोपण योजनाएं सक्रिय रूप से संचालित की जा रही हैं।
किसानों को अनुदानित पौधे, बीज और तकनीकी सलाह प्रदान की जाती है, जिससे वे आधुनिक कृषि और बागवानी तकनीकों को अपनाकर अधिक उत्पादन और आय प्राप्त कर सकें। यह नर्सरी क्षेत्र के किसानों के लिए एक मार्गदर्शक केंद्र बन गई है।
उद्यानिकी न केवल आय का स्रोत है, बल्कि यह पोषण सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण का सशक्त माध्यम भी है। छोटे से गांव दोरबा में स्थित यह नर्सरी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हुए हरियाली, रोजगार और आत्मनिर्भरता के सपनों को साकार कर रही है।
वृक्षारोपण महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह भविष्य की साँसों का बीजारोपण है। जब तक पौधों को जल, सुरक्षा और स्नेह नहीं मिलेगा, तब तक ‘हरियाली लाओ’ का नारा कागज़ों और मंचों तक ही सीमित रहेगा। आवश्यक है – संकल्प, समर्पण और सतत देखरेख, ताकि हर पौधा एक दिन छांव देने वाला वृक्ष बन सके।
दोरबा नर्सरी, आज एक उदाहरण है कि यदि सोच हरियाली की हो और मेहनत सच्ची हो, तो गांव भी पर्यावरण आंदोलन का केंद्र बन सकता है।
योगेन्द्र सिंगने, मोहला की रिपोर्ट