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शिवनाथ नदी का उदगम स्थल कई रहस्यों का संगम

शिवनाथ नदी का उद्गम स्थल सिर्फ एक प्राकृतिक धरोहर नहीं, बल्कि रहस्यों, आस्था और प्रेम की एक जीवंत कहानी भी है। यहां के हर पत्थर, हर बूंद और हर पेड़ के पीछे एक दास्तां छिपी है जो पीढ़ियों से ग्रामीणों के दिलों में बसती आई है।

चमत्कारी पलसा वृक्ष: प्रकृति का एक रहस्य या कोई दैवीय संकेत?

शिवनाथ नदी की गोद में बसा गोडरी एक ऐसा स् है जहां पल्सा का एक विचित्र किंतु चमत्कारी वृक्ष स्थित है। आमतौर पर पल्सा के पेड़ों में तीन या चार पत्तियाँ होती हैं, लेकिन यहां एक विशेष पेड़ ऐसा है जिसके पत्ते पांच होते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह कोई सामान्य वृक्ष नहीं, बल्कि किसी दैवीय शक्ति का प्रतीक है।

कहते हैं, पांच पत्तों वाला पल्सा का पत्ता किस्मत वालों को ही नजर आता है कई श्रद्धालु इसे अपने जीवन में आने वाले शुभ संकेत के रूप में देखते हैं। वर्षों से यह पेड़ श्रद्धालुओं, पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

ग्रामीणों की जुबानी

शिवनाथ, एक बलशालीऔर स्वाभिमानी युवक था। वहीं सुखवनतीन, सौंदर्य और संवेदनाओं की मूर्ति, टिपागड़ राज घराने के साथ भाइयो की एक लाडली बहन थी। दोनों की मुलाकात गोडरी के इसी इलाके में हुई थी। कहते हैं कि उनके प्रेम ने प्रकृति को भी हिला दिया। जब उनके भाइयों ने उनकी राहों में दीवारें खड़ी कीं, तो उन्होंने अपनी आत्माओं को एक कर दिया और वहीं से फूटी शिवनाथ नदी की धारा, जो आज भी बह रही है, उनके प्रेम की साक्षी बनकर।

एक स्थल, कई रहस्य

गोडरी न केवल इन कथाओं का केंद्र है, बल्कि यहां कई ऐसे रहस्य हैं जो आज भी अनसुलझे हैं। कुछ स्थानों पर बिना किसी स्पष्ट स्रोत के जलस्रोत बहते हैं, तो कुछ स्थानों पर पत्थरों पर अद्भुत आकृतियाँ उभरती हैं जिन्हें ग्रामीण चमत्कार मानते हैं।

कुछ श्रद्धालु इस स्थल को तीर्थ मानकर यहां मन्नतें मांगते हैं। वे मानते हैं कि शिवनाथ और सुखवनतीन की आत्माएं आज भी इस धरती पर हैं और सच्चे प्रेमियों का मार्गदर्शन करती हैं।

सरकार और शोधकर्ताओं से उम्मीद

ग्रामीणों और इतिहासकारों की अपेक्षा है कि इस स्थान पर गहन शोध हो, ताकि इसके प्राकृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को दुनिया के सामने लाया जा सके। यह न केवल एक पर्यटन स्थल बन सकता है, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी साबित हो सकता है।

गोडरी एक स्थल है जहां प्रकृति, आस्था और प्रेम मिलते हैं जहां एक पांच पत्तों वाला पल्सा सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक है, और जहां शिवनाथ और सुखवनतीन की प्रेमकहानी आज भी लोगों के दिलों को छूती है। यह वह स्थान है जहाँ नदी बहती नहीं, एक प्रेम कथा सुनाती है।

*जिला ब्यूरो योगेन्द्र सिंगने की रिपोर्ट**

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