युक्ति करण की योजना को बना दिया विवादित मुद्दा


युक्ति युक्तिकरण की योजना थी दुर्गम क्षेत्र में शिक्षकों की पहुंच बढ़ाने की लेकिन अधिकारियों की मनमानी ने बना दिया विवादित मुद्दा
राज्य सरकार के लिए बन गया है सर दर्द
मौजूदा विधानसभा सत्र में युक्ति करण संबंधित प्रश्नों की बौछार लग चुकी है
बालोद :-राज्य शासन के द्वारा शिक्षा में गुणवत्ता लाने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल क्रियान्वयन से दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षकों की पहुंच बढ़ाने युक्ति युक्तिकरण की योजना बनाई गई थी किंतु जिन अधिकारियों को इस योजना को क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी दी गई थी उनके द्वारा की गई मनमानी एवं भर्राशाही पूर्ण कार्य तथा अपनों को उपकृत करने की दूषित मानसिकता से शासन की महत्वपूर्ण योजना को पलीता लग चुका है
अतिशेष सूची एवं रिक्त स्थान का पूर्व प्रकाशन नहीं
जिले के किसी भी वि ख व जिले में शिक्षकों के किसी भी पद की अतिशेष सूची का प्रकाशन ही नहीं किया गया जिसके कारण अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों के विषय में विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की शुद्धता का परीक्षण नहीं किया जा सका। अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों को काउंसलिंग के पहले दिन रविवार 01/06/25 की रात को सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से अचानक सूचना दी गई। अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों को दावा-आपत्ति का कोई अवसर नहीं दिया गया, और ना ही काउंसलिंग स्थलों पर भी शिक्षकों की आपत्तियों को स्वीकार नहीं किया गया। काउंसलिंग स्थलों में आपत्तियों के निराकरण हेतु कोई भी सक्षम अधिकारी उपस्थित नहीं रहे।इस बात को जिला कलक्टर श्रीमती दिव्या मिश्रा के पाससभापति के द्वारा रखा जाने पर किसी प्रकार से संतुष्टि पूर्वक जवाब प्राप्त नहीं हुआ ।
वरिष्ठ शिक्षकों को नियम विरुद्ध अतिशेष और चहेते कनिष्ठ रखा यथावत
💥इस अनुक्रम में विकासखंड बालोद के शासकीय हाई स्कूल जमरूआ में पदस्थ वरिष्ठ शिक्षक रघुनंदन गंगबोईर को कनिष्ठ और कनिष्ठ शिक्षक अभय साहू को वरिष्ठता करके युक्तियुक्तिकरण संलग्न आदेश -F-2/24/2024/20-तीन नवा रायपुर दिनांक- 28/4/25 के निर्देश के नियम ( छः) के उप बिन्दु (१) जिसमें स्पष्ट लिखा है कि पद स्थापना तिथि के आधार पर अतिशेष शिक्षकों की सूचीबद्ध की जायेगी, तथा छ. ग. सिविक सेवा अधिनियम 1961 के नियम 12 (क) के प्रावधानों के अनुसार सीधी भर्ती से नियुक्त व्यक्तियों की वरिष्ठता पद ग्रहण की तारीख का विचार किये बिना उस योग्यता क्रम के आधार पर अवधारित की जाती हैं जब नियुक्ति के लिए उनकी शिफारिश की गई है (क्र. 1-1/2016/1-3 नया रायपुर दि०- 21/3/17) इसी प्रकार आदेश क्र. F1-1/2017/1-3 (पार्ट) नया रायपुर दिनांक 20/5/24 जिसका विषय-छ.ग. सिविल सेवा अधिनियम 1961 (यथा संशोधित) एवं एकजाई/ अद्यतन के पृष्ठ 6 के विन्दु 12 वरिष्ठता (क) में उपरोक्त बातो सीधी भर्ती से नियुक्त व्यक्तियों की वरिष्ठता पद ग्रहण की तारीख का विचार किये बिना उस योग्यता क्रम के आधार पर अवधारित की जाती हैं जब नियुक्ति के लिए उनकी शिफारिश की गई है अर्थात पदस्थापना आदेश/अनुशंसा तिथि के साथ इस बात को भी जोंडा गया है कि “पुर्ववर्ती चयन के परिणाम स्वरूप नियुक्त व्यक्ति पश्चात वर्ती परिणामस्वरूप व्यक्ति से वरिष्ठ होंगे।“ इन आदेशों निर्देश को में पद स्थापना आदेश/अनुशंसा तिथि ही वरिष्ठता का आधार निश्चित होता है किया गया है जिसके आधार पर मेंपूर्ववर्ती चयन परिणाम स्वरूप व्यावसायिक परीक्षा मंडल के मेरिट सूची में काउंसिलिंग के माध्यम से पद स्थापना आदेश क्रमांक 1787 दि.5जुलाई 2010 के 13वें क्रम में था तथा पश्चात वर्ती चयन के परिणाम स्वरूप व्यक्ति अभय साहू 81वें क्रम में है नियम विरुद्ध कनिष्ठ को वरिष्ठ किया गया है ।
आत्मानंद,पी एम श्री विद्यालयों युक्ति युक्तिकरण मुक्त रखने आदेश लेकिन
बालोद जिला के दो विकासखंड बालोद और गुंडरदेही में असहमति वाले शिक्षकों अतिशेष किया गया है और तीन विकासखंड डौंडी, डौडी लोहारा और गुरुर में अतिशेष की श्रेणी में नहीं लाया गया है शिक्षा विभाग के इस भेदभाव पर भी चर्चा गर्म रहा जिससे एक ही जिला में एक ही नियम का अलग-अलग अनुपालन किया गया है जिससे आलम यह रहा कि बालोद विकासखंड में समायोजित शिक्षकों को अतिशेष में लाकर डौंडी लोहारा विकासखंड के विद्यालयों में किया गया जिससे बालोद के H/s अमलीडीह विद्यालय में विषय (हिन्दी) व्याख्याता के पद रिक्त हो गए और डौंडी लोहारा अरजपुरी में विषय व्याख्याता के पद एक से अधिक हो गया अब पुनः वहां जो है युक्ति कारण नियम के विरुद्ध अतिशेष की कार्यवाही की जाएगी तो अभी जिनका समायोजन किया है वह फिर युक्ति युक्ति कारण की चपेट में आएगा यह केवल और केवल विकासखंड एवं जिला स्तर के युक्तिकरण समिति की लापरवाही के वजह से हुआ है ।जैसा कि बालोद जिला के बालोद और गुंदरदही विकासखंड में युक्ति युक्ति करण नियम (दो ) के14 वें बिंदुओं का उल्लंघन करते हुए सेजेस के शिक्षकों को अतिशेष निकालकर समायोजन किया गया जिससे जिले के कई शिक्षकों को सांभाग ही नहीं संभाग के बाहर समायोजन किया गया जिनमें व्याख्याता टी संवर्ग के तीन महिला व्याख्याता विषय गणित अतिशेष शामिल हैं जिनका नाम क्रमशः श्रीमती ममता श्रीवास को छिंदगढ़ सुकमा, चंद्रावली चंद्राकर को चिंतलनार सुकमा, भानुप्रिया मंडावी को जशपुर किया गया है जबकि अभी वर्तमान में प्रक्रियाधीन प्राचार्य पदोन्नति में जिला के अंतर्गत ही विभिन्न विषयों के पदरिक्त हो जाएंगे है
शालाओं में पद रिक्त लेकिन काउंसलिंग में छिपाया
जिला बालोद में कोई भी एकल शिक्षा की एवं शिक्षक विभिन्न शाला नहीं है जैसा कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा संभाग स्तरीय काउंसलिंग के लिए भेजी गई जानकारी में कहा गया है तो अब अतिशेष शिक्षकों का समायोजन के लिए अगले क्रम में ज्यादा दर्ज संख्या वाले विद्यालय में अतिशेष शिक्षकों का समायोजन किया जाना था किंतु जिला मुख्यालय के अनेक पूर्व माध्यमिक शालाओं में चक्र अनुक्रम का पालन न करते हुए जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में ही स्थापित शासकीय बेसिक पूर्व माध्यमिक शाला जिसकी दर्ज संख्या 108 है तथा विकासखंड शिक्षा अधिकारी के प्रतिवेदन अनुसार वहां अंग्रेजी गणित और विज्ञान की शिक्षकों की आवश्यकता हैइसका भी ध्यान न देते हुए जिला स्तरीय युक्तिकरण समिति के द्वारा मनमानी करते हुए युक्तियुक्तिकरण नियम 7B (5) का उल्लंघन करते हुए इससे कम दर्ज संख्या वाले दुरस्थ अंग्रेजी विषय के शिक्षक अतिशेष का समायोजन किया गया है ।
इसी प्रकार से हाई स्कूल तरौद के पूरे रिक्त 6 व्याख्याता में से केवल चार व्याख्याता की रिक्तता जिला स्तर के काउंसलिंग में दिखाई गई हिंदी और सामाजिक विज्ञान को छुपाया गया था जिसमें सिर्फ सामाजिक विज्ञान को संभाग स्तर पर रिक्तता की जानकारी भेजा गया था ऐसे ही शासकीय हाई स्कूल करहीभदर में विज्ञान विषय के रिक्त पद को जिला स्तर पर नहीं दिखाया गया और वहां सीधा राज्य स्तर से पैराशूटलैंडिंग कर केजगदलपुर के व्याख्याता को पद स्थापित किया गया है
अधिकारियों की संलिप्तता अपनों को उपकृत करने की जा रही कूट रचना
बालोद जिला में स्वयं प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी श्री डीपी कौसरे की धर्मपत्नी श्रीमती आरती कोसरे जो की सेजेस राणा खुर्जी विकासखंड डौंडी लोहारा में पदस्थ हैं जहां उस विषय संस्कृत के अध्ययन करने वाले कोई विद्यार्थी नहीं है क्योंकि वहां व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित है तो युक्ति करण के नियम7(c )2 के अनुसार जिस विषय संकाय के छात्र अध्यनरत ना हो ऐसे शिक्षकों का अतिशेष के रूप में समायोजन किया जाना है स्पष्ट लिखा है उसका भी कूट रचना करके स्वयं प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने पत्नी को उपकृत करने के उद्देश्य से नियम का उल्लंघन किया है ।
• क्या है युक्ति युक्तिकरण नियम निर्देश और उड़ रही धज्जियां*
नियम7 B (3,4,5 ) अनुसार अतिशेष शिक्षकों का चिंहांकन करते समय विषय का ध्यान रखा जाए एवं एक से अधिक विषय शिक्षक को अतिशेष कर चक्र अनुक्रम में पहले अंग्रेजी , गणित,विज्ञान और कला के क्रम में समायोजित किया जाए लेकिन इसका उल्लंघन करते हुए ना तो अतिशेष शिक्षकों का चयन करने के लिए विषय का ध्यान रखा गया और ना ही एक से अधिक पदस्थ चहेते शिक्षकों को अतिशेष किया गया
बुनियादी शाला के बुनियाद हिलाने में अधिकारियों नहीं छोड़ी कोई कसर
युक्ति युक्ति करण के नियम की धज्जियां इस प्रकार उड़ाई गई कि जिला मुख्यालय के ही कई नहीं बल्कि सभी पूर्व माध्यमिक शालाओं में जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जिस परिसर स्थापित है उसी परिसर के बुनियादी पूर्व माध्यमिक शाला में भी एक ही विषय के कला विषय के दो शिक्षक कार्यरत हैं लेकिन किसी भी शिक्षक को अतिशेष नहीं लाया गया चक्र अनुक्रम में यहांअंग्रेजी फिर गणित फिर विज्ञान समायोजित करना था लेकिन अंग्रेजी को छोड़कर गणित और विज्ञान का समायोजन किया गया
👉इसी प्रकार से पूर्व माध्यमिक शाला शिकारी पारा बालोद में भी विज्ञान और कला के दो दो शिक्षक हैं जिसमें विज्ञान विषय के किसी भी शिक्षक को अतिशेष में नहीं लाया गया और ना ही चक्र अनुक्रम में अंग्रेज़ी विषय का पद-स्थापना किया गया ।
लोग कहने लगे यह कैसी युक्तिकरण जिसमें अंग्रेजी माध्यम सरकारी विद्यालय में ही अंग्रेजी के शिक्षक की युक्ति नहीं हुई
👉जिला मुख्यालय के एकमात्र इग्नाइट अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल में हीअंग्रेजी विषय शिक्षक का युक्ति करण नहीं किया जा सका जिससे लोगों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि यह कैसी युक्ति करण है ।
👉इसी प्रकार पूर्व माध्यमिक शाला आमापारा बालोद में गणित के तीन-तीन शिक्षक पदस्थ हैं विज्ञान के तीन में से केवल एक शिक्षक को अतिशेष निकल गया है लेकिन यहां भी चक्र अनुक्रम अनुसार समायोजन करते हुएअंग्रेजी विषय का पद स्थापना नहीं किया गया है ।
शिक्षकों के गलत तरीके से की गई युक्तिकरण की प्रक्रिया को शीघ्र ही सुधार नहीं होने और प्रभावित शिक्षकों के वेतन भत्ता में अवरोध होने पर आगे लोक शिक्षण संचनालय एवं मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाने की बात प्रभावित शिक्षकों द्वारा कही गई ।