

राज्य सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था में युक्तियुक्तकरण (Rationalization) की प्रक्रिया से अब ग्रामीण और शहरी विद्यालयों के बीच संसाधनों का समुचित संतुलन बनता दिखाई दे रहा है। शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात में सुधार, अधोसंरचना का बेहतर उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में यह पहल मील का पत्थर साबित हो रही है।
शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की तैनाती अब स्कूलों की आवश्यकता अनुसार की जा रही है, जिससे एक ही विद्यालय में अधिक शिक्षक और अन्य में कमी की समस्या का समाधान हो रहा है। इससे सभी छात्रों को समान अवसर और समुचित मार्गदर्शन मिल पा रहा है।
इस योजना के तहत कमजोर परिणाम देने वाले विद्यालयों को मजबूत शैक्षणिक आधार दिया जा रहा है और शिक्षकों को उनकी योग्यता के अनुसार नियुक्त किया जा रहा है। इससे बच्चों की पढ़ाई में सुधार और शिक्षा का स्तर बढ़ेगा।
युक्तियुक्तकरण से जहाँ एक ओर सरकारी संसाधनों का बेहतर उपयोग हो रहा है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा में समानता, गुणवत्ता और जवाबदेही की भावना भी विकसित होगी । इससे न केवल विद्यार्थियों को लाभ मिल रहा है बल्कि शिक्षकों की भूमिका भी अधिक प्रभावी बन रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस प्रक्रिया को पारदर्शी और नियोजित तरीके से जारी रखा जाए, तो आने वाले समय में शासकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता और भी ऊँचाइयों को छू सकती है।
योगेन्द्र सिंगने की रिपोर्ट