शब्द संभाल के बोलिये…एक शब्द औषधि एक करत घाव..एक का व्यापार सफलएक का व्यापार चौपट।

आओ कुछ अच्छा लिखते हैं और कुछ अच्छा सुनते हैं..
आओ कुछ अच्छा लिखते हैकुछ अच्छा सुनते है इस कडी मे सच्ची घटना पर आधारित वाक्या एक गांव की.. जहाँ पर उस गांव मे एक व्यापारी के दो पुत्र थे, व्यापारी की उम्र ढल चुकी थी, तो उसने अपना कारोबार के लिये अपने दोनोपुत्रो को व्यापार के लिये अपनी सम्पति का बंटवारा कर उन्हे अपना व्यापार करने के लिये कहा वे दोनो अपना अपना व्यापार करने लगे। एक पुत्र था वह अपने नौकरो के भरोसे सारे व्यापार को करने में जुटा रहा वह दुकान मे रहता लेकिन वह अलाल था उसके दुकान मे कोई ग्राहक सामान लेने आता तोवह ग्राहक से बातचीत करता था तो उसके शब्द ऐसे होते कि सामान लेने वाला ग्राहक भी सामान चाहकर भी नहीं ले पाता, सामान केभाव लेकर ग्राहक से यह कह देता कि लेना है तो लो नहीं तो सामान लेने वाले आपके जैसे कई ग्राहक हैं, जाइये जाइये आप यह सामान नहीं ले सकते। दुकानसे सामान लिये बिना ग्राहक वापस बैरंग लौट जाता,। दूसरा पुत्र अपने नौकर के साथ बडे लगन व मेहनत केसाथ अपने व्यापार मे लगा रहता, ग्राहक जैसे ही दुकान मे आता वह हंसकर बडे उत्साह के साथ उसका अभिवादन करता, बैठने के लिये आग्रह करता सामान यदि उसे पंसद न आये पर भी, वह सामान केभाव को लेकर कहता कि, ठीक है आगे आपकी पंसद केअनुरूप सामान लायेगे, नहीं ले रहे तो कम से कम चाय पानीपीकर जाइये, दुकान आपकी ही है, सेवा करने का अवसर दीजिये।
हुआ यह कि एक की दुकान चल निकली व्यापार मे वह अच्छी सफलता अर्जित कर व्यापार जगत मे दूर दूर तक उसने व्यापार मेख्याति अर्जित प्राप्त कर व्यापार का कारोबार, दिनदूना रात चौगनी से रोशन होने लगा। दूसरी की दुकान ग्राहकी के अभाव मे दुकानबंद करनी पडी शनेःशनेः उसकी दुकान बंद हो गई सारा व्यापार चौपट होगया। नौबत यहां तक आया कि नौकर के वेतन देने के लाले पड़ गये, साहुकारो के कर्ज इतना होगया कि वह चिंतित व परेशान हो गया। शब्द काखेल एक ने कहा आइये, दूसरे ने कहा जाइये.. कहने काभाव ग्राहक को जिसने आईये कहां धन की देवी लक्ष्मी जी कीकृपा बरसी, दूसरे ने कहा ग्राहक कोजाईये धन की देवी लक्ष्मी भी रूठ कर चली गई। व्यापार व कारोबार चौपट हो गया मान सम्मान भी गया ।
संत कबीर दास की यह पंक्ति…
शब्द संभाल के बोलिये…
एक शब्द औषधि
एक करत घाव..
एक का व्यापार सफल
एक का व्यापार चौपट।
सौजन्य-योगेन्द्र सिंगने मोहला