अरे मुझे कौन ‘पूछता था ..तेरी बंदगी के बगैर
जो भगवान का हो गया वो सबका हो गया।
अरे मुझे कौन पूछता था
तेरी बंदगी से पहले
मैंखुद को ढुंढता था..
कोन हूं कब
तेरी बंदगी से पहले
मुझे कौन पूछता था ..तेरी बंदगी के पहले
मेरी जिंदगी थी एैसी
जैसी खाली शीप मोती
मेरी बढ़गई है कीमत
तूने भर दिये हैं मोती
में दर दर भटक रहा था.
कब ़…
तेरी बंदगी से पहले
मुझे कोन पूछता था
मैं कुछ भी हो नहीं था
मेरी कुछ नहीं थी हस्ती
प्रभु
तेरी बंदगी से पहले
तू तो प्रभु बड़ा है
तेरी रहमत बड़ी है
तुझे क्या क्या वताये
क्या दास पर पड़ी है।
प्रभू
न तो गीत न गला था
तब
तेरी बंदगी से पहले
अरे मुझे कौन पूछता था तेरी बदगी से पहले।
अरे मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले….
अरे ठोकर जिंदगी मे इंसान को जिंदगी मे नहीं लगती बल्कि कुछ ठोकरे इंसान को संभलने सुधरने और संवरने का मौका देती है।