संवेदनहीनता की यह पराकाष्ठा-मोहला के स्वास्थ्य तंत्र को अब जवाब देना होगा
संवेदनहीनता की यह पराकाष्ठा — मोहला के स्वास्थ्य तंत्र को अब जवाब देना होगा
मोहला, 28 अक्टूबर।
मोहला में एक वर्ष के मासूम ओमांश की मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। यह सिर्फ़ एक मासूम की मृत्यु नहीं, बल्कि वर्षों से चले आ रहे स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का सजीव उदाहरण बन गई है।
मामले में सबसे चिंताजनक बात यह रही कि इलाज में हुई स्पष्ट लापरवाही के बावजूद, कार्रवाई केवल पर्ची काटने वाले कर्मी तक सीमित रख दी गई। डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर कोई ठोस कदम न उठाना न सिर्फ़ अन्याय है, बल्कि जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है।
जिला मुख्यालय का दर्जा मिलने के बावजूद मोहला अस्पताल की स्थिति आज भी दयनीय है। अस्पताल में एक्स-रे मशीन तो मौजूद है, लेकिन उसे चलाने वाला लैब टेक्नीशियन नहीं है। नतीजतन ग्रामीणों को 25 किलोमीटर दूर जाकर एक्स-रे करवाना पड़ता है।
स्थिति इतनी विडंबनापूर्ण है कि जो कर्मचारी मरीजों की पर्ची बनाता था, वही एक्स-रे भी करता था। और अब जब उसी को हटाया गया है, तो पूरा अस्पताल ठप हो गया है। यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि जनसेवा पर कुठाराघात है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला बनने के बाद भी मोहला में स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर जन्म प्रमाण पत्र तक के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ता है।
इस संवेदनशील विषय पर भारतीय जनता युवा मोर्चा, मोहला ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए तीन प्रमुख माँगें रखी हैं —
1️⃣ मोहला जिला अस्पताल में स्थायी लैब टेक्नीशियन की तत्काल नियुक्ति की जाए।
2️⃣ स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों की जवाबदेही तय करे, ताकि भविष्य में किसी “ओमांश” की जान लापरवाही से न जाए।
3️⃣ स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में रोजगार के अवसर दिए जाएँ।
भाजपा युवा मोर्चा ने कहा —
“व्यवस्था तब सफल होती है जब संवेदनशीलता कागज़ों से निकलकर धरातल पर उतरती है। जनसेवा कोई दस्तावेज़ नहीं, एक दायित्व है — और उस दायित्व का निर्वहन अब मोहला माँग रहा है।”
( योगेन्द्र सिंगने, मोहला)