कुसुमकसा के नंद किशोर पिस्दा जी द्वारा लिखी कविता को कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी के शहादत पर समर्पित कुछ लाइन अवश्य पढ़े ।
कुसुमकसा :-
दल्ली राजहरा के मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले मजदूरों हितैषी राष्ट्रीय नेता शाहिद शंकर गुहा नियोगी जी के शहादत दिवस पर ग्राम कुसुमकसा के नंदकुमार पिस्दा द्वारा उनके जीवन से समर्पित कविता के माध्यम से अपना विचार आपके बीच रखे हैं।
कर्मवीर योद्धा,जन नेता, श्री शंकर गुहा नियोगी जिन्होंने मजदूरों को हक दिलाने के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया आज भी मजदूरों के हृदय में बसा हुआ है शंकर गुहा नियोगी।, एक धारा है और धारा बनकर सदैव हृदय में दौड़ता रहेगा, आज भी सभी के दिलों में बसा हुआ है, ऐसे जननायक के लिए मैंने दो पंक्तियां समर्पित किया हूं।
शंकर गुहा नियोगी
शंका सबके जीवन की,
किया तूने समाधान।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा बनाया, दिया ” तीर और कमान “!!
कर्म क्षेत्र आपके जीवन की साधना बन गई।
“आशा” का प्यार मिला
, “जीत और मुक्ति” मिल गई !!
रग-रग में बसा था,
श्रमिकों का प्यार !
लौह नगरी को बनाया
, स्वर्ग का द्वार !!
गुनाह से तुम दूर रहे,
सत्य का है सदा वास्ता !
श्रमिकों से प्यार किया
, और सुझाया नया रास्ता !!
हाहाकार मच गया,
मशीनीकरण को दिया निकाल ! खून पसीने से बना दिया,
एक नया शहीद अस्पताल !!
निगाहें लगी हुई थी,
जब आप गये जेल !
पूंजीपतियों ने मचाया,
जीवन में खूनी खेल !!
योगी बनकर साधना किया, तपोवन सजाकर हवन किया । तुम धारा हो धारा बनकर रहोगे, श्रमिकों ने ऐसा जतन किया ।।
गीता की सार हो तुम,
महाभारत की शक्ति हो तुम। “क्रांति” की सरताज हो तुम, श्रमिकों की भक्ति हो तुम !!
स्वरचित – नंदकिशोर पिस्दा (कुसुमकसा), पिता सीता राम पिस्दा शा.उ.मा.वि. कोड़ेकसा, मो. 9407691140