कोरचाटोला तथा गोर्राटोला में किया यात्री प्रतीक्षालय निर्माण का घोषणा एवं दनगढ़ में बनेगा आंबेडकर सामुदायिक भवन :- संसदीय सचिव इंद्रशाह मंडावी

कोरचाटोला तथा गोर्राटोला में किया यात्री प्रतीक्षालय निर्माण का घोषणा एवं दनगढ़ में बनेगा आंबेडकर सामुदायिक भवन :- संसदीय सचिव इंद्रशाह मंडावी
शिक्षा सबसे बड़ी संपत्ति है, शिक्षा पाना सबका अधिकार: इंद्रशाह मंडावी
समाज को समानता का पाठ पढ़ाने वाले केवल भीमराव आंबेडकर है: इंद्रशाह मंडावी
मोहला संवाददाता :- योगेन्द्र सिंगने
मोहला:-
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संसदीय सचिव इंद्रशाह मंडावी आंबेडकर जयंती के अवसर पर चौकी विकासखंड के दौरे पर रहे। जहां उन्होंने कोरचाटोला, खुर्सीटिकुल, पटेली, गोर्राटोला तथा दनगढ़ में बौद्ध उपासकों के साथ भगवान गौतम बुद्ध तथा संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के प्रतिमा में माल्यार्पण कर त्रिशरण पंचशील पाठ का वंदना किया।

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विधायक ने अपने उद्बोधन में कहा कि महामानव आंबेडकर जी भारतीय संविधान के निर्माता तथा जाति, धर्म, संप्रदाय से छुआछूत की बेड़ियों को दूर कर, समाज को समानता का पाठ पढ़ाने वाले थे। जिन्होंने अपने जीवन में शिक्षा को सबसे अधिक महत्व दिया और जोर देकर कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य समृद्ध हो सकता है साथ ही अपने अधिकारों के लिए लड़ सकता है। बाबासाहेब आंबेडकर का विचार था कि शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है और किसी को भी इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने हमेशा शिक्षा के लिए जोर दिया है, समाज में एकता के भाव से रहने के लिए जोर दिया है। आज बाबा साहेब के जयंती के अवसर पर हम सभी बाबा साहब के विचारो को फैलाने का काम करें, हर बच्चें को शिक्षा के लिए प्रेरित करें, समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करें, नशापान से दूर रहें। छुआ-छूत तथा भेदभाव को दूर करें तभी हम बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे।

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विधायक ने विकास कार्यों की दी सौगात
इस दौरान विधायक ने ग्राम कोरचाटोला तथा गोर्राटोला में 10 लाख रुपए की लागत से बनने वाली यात्री प्रतीक्षालय का घोषणा किया। ग्राम दनगढ़ में 6.50 लाख रुपए स्वीकृत आंबेडकर सामुदायिक भवन का भूमिपूजन किया। भनसूला में आंगनबाड़ी केंद्र का लोकार्पण किया। इसके इतर उपासकों की मांग पर बौद्ध मूर्ति स्थल हेतु छत निर्माण कार्य का आश्वासन दिया।
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आंबेडकर जयंती के अवसर पर मुख्य रूप से अनिल मानिकपुरी, महेंद्र साहू, रामेंद्र गोआर्य, बस्तर सलामे, देवव्रत सलामे, मोनू साहू, राकेश कोमरे, प्रकाश गजभिए, मोहन मेश्राम, डेरहा राम मेश्राम, अभिषेक वारके, मनराखन गजभिए, देवानंद गजभिए, सदाराम गजभिए, महेंद्र भैंसारे, शांति लाल टेंभूरने, रविन्द्र कामड़े, हेमलता ठाकुर, शीला बाई गजभिये, गायत्री सहारे, प्रभा बोरकर, शिशुपाल मेश्राम, मन्नू राम बोरकर, गंगा दास सहारे, मदन बांबेश्वर, कन्हैया बोरकर सहित सैकड़ों बौद्ध उपासक उपस्थित रहे।
