मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी के लापरवाही से ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा रोजगार
रविन्द्र टंडन
मस्तूरी – भ्रस्टाचार का गढ़ कहे जाने वाले मस्तूरी में इन दिनों एक बार फिर भ्रस्टाचार का मामला सामने आया है। डबरी निर्माण कार्य मे मजदूरों के बजाए मशीन से काम करा कर राशि आहरण करने का मामला सामने आया है।
दरसल पूरा मामला मस्तूरी जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत धुर्वाकारी का है जहां वर्ष 2020 -21 में मनरेगा के तहत हितग्राही धर्मेन्द्र भारद्वाज के नाम पर 2 लाख 48 हजार की राशि से डबरी पास कराया गया था जिसे इंजीनियर प्रमोद बंजारे और मनरेगा के कार्यकम अधिकारी रुचि विश्वकर्मा के द्वारा निर्देश देकर रोजगार सहायक के द्वारा मशीन से कार्य करा कर मजदूरों के नाम पर मस्टर रोल निकाल कर राशि का गलत तरीके से आहरण किया गया।
शिकायत कर्ता धर्मेन्द्र भारद्वाज ने मस्टर रोल पर फर्जी हस्ताक्षर करने का भी आरोप लगाया है साथ ही स्वयं हितग्राही के नाम पर रोजगार सहायक के द्वारा मस्टर रोल जारी कर हितग्राही का फर्जी हस्ताक्षर कर मस्टर रोल जमा किया गया है। मनरेगा के तहत बनाये गये डबरी में लापरवाही को छिपाने के लिए सूचना पटल भी नही बनाया गया है ताकि लोगो को कार्य स्वीकृति के बारे में जानकारी न हो सके। जानकारी के बाद हितग्राही ने जनपद पंचायत मस्तूरी और जिला कलेक्टर से शिकायत कर मामले पर जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया। मामले पर टीम गठित कर जांच किया गया था। मस्तूरी के कार्यक्रम अधिकारी की संरक्षण की वहज से दोषियों पर अब तक कोई कायवाही नही हो पाया है। साल भर बीत जाने के बाद एक बार फिर हितग्राही ने शिकायत कर निष्पक्ष जांच करने की अपील किया जिस पर एक बार फिर जिला पंचायत की टीम ने मौके पर जाकर जांच किया। फिलहाल टीम के द्वारा अब तक कोई रिपोर्ट नही आया है।रिपोर्ट पर ही मामले का खुलासा होगा।
आखिर मस्तूरी में मनरेगा विभाग में क्यों हो रहा है भ्रस्टाचार…?
लगभग 1.5 साल पहले रुचि विश्वकर्मा के मनरेगा विभाग में आते ही भ्रस्टाचार शुरू हो गया कई पंचायतों जैसे – नेवारी, पचपेड़ी,धनगवा, खाड़ा, धुरवाकारी जैसे दर्जनों पंचायतों में मशीन चला कर गलत तरीके से राशि का आहरण किया गया है।
तखतपुर में क्या रही इनकी स्थिती ?
तखतपुर में भी इनकी कार्यशैली पर कई बार सवाल उठा है।जानकारों द्वारा बताया जाता है कि विश्वकर्मा के रहते हुए मनरेगा के कार्यो में काफी गड़बड़ी होती है इनके कार्य से जनपद पंचायत पर कई सवाल उठते है यही कारण है कि रुचि विश्वकर्मा को तखतपुर से हटा कर मस्तूरी भेजा गया है। लेकिन ऐसे भ्रस्ट अधिकारी अपने कारनामो से बाज नही आते है।यही कारण है कि अब जनपद पंचायत मस्तूरी का नाम भी बदनाम हो रहा है।
इनके कार्य से मनरेगा के कार्यो में क्या असर पड़ रहा है ?
इनकी मनमानी और कार्यो में मशीन का उपयोग से ग्रामीण क्षेत्रो के मजदूर वर्ग के लोगो को रोजगार नही मिल पा रहा है।इसी वजह से मस्तुरी में पलायन करने वालो की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। आखिर इनके पीछे किन का संरक्षण है जिस वजह से शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नही हो रहा है।
इनके आने से पहले कैसा था मस्तुरी के मनरेगा विभाग
1.5 साल पहले मस्तूरी में मनरेगा के कार्यशैली पर कोई सवाल नही उठा था। क्षेत्र में कार्य भी सही तरीके से चलता था। और इस कार्यकाल के अपेक्षा ज्यादा कार्य होता था।